जी हाँ, आपने सही पढ़ा. सीतामढ़ी की प्रतिष्ठित जानकी मंदिर किसी भी वक़्त गिर सकती है और प्रसाशन इंतज़ार कर रही है की कब ऐसी घटना घटित हो. लोगों की जान चली जायेगी तो उस पर जांच कमिटी बनेगी, मुवाबजे की घोषणा होगी, २-३ दिन तक अखबारों की सुर्खियाँ रहेगी और जिनकी जान गयी वो कभी वापस नही आएगी. चलिए अब हम आपको साक्षात दर्शन करवाते हैं माँ जानकी मंदिर का, और दिखाते हैं की हम क्यूँ आपसे गुहार लगा रहे हैं.
- इस तस्वीर में आप देखेंगे की रूफ स्लैब बीम क्रैक , लिंटल बीम क्र्च्क और कनेक्टिंग क्रैक दिखाया गया है. लोग साधारणतः इसे प्लास्टर में क्रैक समझते हैं और खुद को दिलाशा देते हैं की कुछ नही होता. मगर आपको जानकारी दे देना उचित है, की क्रैक अगर एक ख़ास रास्ते से एक बीम से दुसरे बीम तक जा रहा है तो समझ लीजिये खतरे की घंटी है. इस समय बहुत आवश्यक है की वहां प्लास्टर झाड़कर अन्दर देखा जाए और उचित कार्यवाई की जाए. इसके बावजूद आप ऊपर देख सकते हैं की क्रैक को नज़रंदाज़ करते हुए ऊपर नवनिर्माण चल रहा है .
जानकी मंदिर के इमारत में क्रैक . - इस तस्वीर में जो इस पवित्र मंदिर के साथ संरच्त्मक मज़ाक किआ गया है इसे आप बवंडर मान सकते हैं. ५” की दीवार है, जिसे तकनिकी भाषा में “पैरापेट” कहते हैं. उसके निचे तकरीबन ४” का बीम है, जो खुद की भाड़ लेने में अक्षम प्रतीत हो रहा है. उसके ऊपर से कॉलम (पिल्लर) को उठाना समझिये पाप है. इसे आप दीवार को भी कमजोड कर रहे हैं और पिलर पे जिस चीज़ को टीका रहे हैं उसे समझिये आपने लटका रखा है, भगवन की जब तक मर्ज़ी होगी, टीका रहेगा, जब निचे गिरेगा तो सच्चाई पता चलेगा.
3. ऊपर इमारत उठ रही है और निचे बीम धंस रहे हैं.
मंदिर धीरे धीरे एक व्यव्शायिक प्रतिष्ठान में तब्दील होता जा रहा है, जिसे जगह् की कीमत को ध्यान में रखते हुए व्यापारिक दृष्टिकोण से सोचने के लिए प्रतिबद्ध होना पड़ता है.
4. अगली तस्वीर मंदिर के एक पुराने लोहे के बीम की है , जो जंग ग्रषित है और भाड़ उठाने की क्षमता आधी हो गयी है. उसपे और ऊपर से भाड़ बढ़ाया जा रहा है. आप अब ध्यान से देखिये की पीछे दीवार पर जो क्रैक है , बीम से जुड़ा हुआ है , इसका ये मतलब है की सिर्फ प्लास्टर और दिवार में ये क्रैक नही है, ये पूरे दीवार में है. पुराने भवन में पूरे भवन का भाड़ दिवार पर ही होता है , अब जब दीवार ही नही रहेगा तो भवन हवा में टंगेगा क्या?
मित्रों, और भी तंग करने वाली तस्वीरें हैं, मंदिर के इस स्तिथि को देख कर बहुत दुःख होता है. यहाँ चुने की छत( gypsum false ceiling) लगाने को आवश्यकता नही है , इसे रेत्रोफित्तिंग ( structural retrofitting) की आवश्यकता है. इस लेख के माध्यम से मैं मंदिर प्रसाशन और जिला प्रशाशन को आग्रह करना चाहता हूँ की किसी दुर्घटना का इंतज़ार करने से अच्छा है की पहले इस्पे कदम उठाये जाएँ. आप मेरी सेवाओं का फायदा उठाइये, मैं अपने पूरे टीम के साथ बिना एक रुपये लिए मंदिर के नवनिर्माण में वास्तु परामर्श और संरचनात्मक परामर्श देने को तय्यार हूँ. लेकिन अपनी आँखों के सामने अपने ही लोगों को मलबे के निचे दबते नही देख सकता.
मंदिर प्रबंधन सो रहे हैं क्या? क्या उनको दिखाई नहीं दे रहा है? इस धरोहर को बचाने के लिये आप जो प्रयास कर रहें हैं उसके लिए आपका आभार।
माधव बाबू बहुत ही अच्छा जानकारी दिया है आपने कोशिश किजिए की बातें उच्च स्तर तक पहुंच जाए और समय रहते मंदिर का झतिग्रस्त भाग का निरीक्षण कर निर्माण हो जाय।
आपने जो धयान दिलाया वो प्रशंसनीय है आश्चर्य है की किस प्रकार मंदिर की सुरक्षा होगी मंदिर कमिटी इस पर गंभीर नहीं हैं आस्था से पूरी तरह खिलवाड़ है जानकी सेना मधुबनी मिथिलांचल के तरफ से आपकी आवाज को बुलंद करने मे आपको पूर्ण सहयोग का आशवासन देती है । जल्द ही हमारी टीम सीतामढ़ी आएगी.mobile no 8434909053 पर कृपया बात करे । धन्यवाद