बिहार में पिछले १० वर्ष के नाव दुर्घटनाओं पर एक नज़र.
तिथि संख्या स्थान जांच समिति का जवाब.
29 सितम्बर 2009 66 खगड़िया सीमा से अधिक सवार.
२ जुलाई 2010 42 बेतिया सीमा से अधिक सवार.
12 अगस्त 2010 50 सुपौल सीमा से अधिक सवार.
अक्टूबर 2010 36 पटना सीमा से अधिक सवार.
12 जुलाई 2013 11 मधेपुरा सीमा से अधिक सवार.
18 अगस्त 2013 6 मुंगेर सीमा से अधिक सवार.
29 जनवरी 2014 9 बक्सर सीमा से अधिक सवार.
5 अगस्त 2015 15 दरभंगा सीमा से अधिक सवार.
27 मार्च 2016 6 रोहतास सीमा से अधिक सवार.
27 मई 2016 12 कटिहार सीमा से अधिक सवार.
14 जनवरी 2017 26 पटना सीमा से अधिक सवार.
279 लोगों के मौत की रिपोर्ट दर्ज है, असलियत में मरने वालों की संख्या का अनुमान लगाया जा सकता है. बहुत सारी नाव पलटने की घटनाएँ तो मीडिया तक पहुँच ही नही पाती है और सरकार उसे अन्दर ही अन्दर पचा देती है. हर दुर्घटना के बाद एक समिति बनती है और उस समिति का जवाब क्या आता है , सबको पता है. सीमा से अधिक सवार होना. मैं इस लेख के माध्यम से सभी दिवंगतों को श्रधान्जली देना चाहता हूँ और साथ ही साथ आप लोगों से निवेदन करना चाहता हूँ की अगर पानी में आपको तैरना नही आता तो पानी के समीप जाना आत्महत्या करने जैसा है. तैराकी कोई राकेट साइंस नही है, बहुत ही आसान है , आप चाहें तो २-३ दिन में सीख सकते हैं.
अब बारी आती है सरकार के जिम्मेवारी की, वैसे तो हमें आदत है सरकार को गालियाँ देने की , मगर इस बार मेरे पास उचित कारण है. अभी अभी प्रकाश पर्व की उल्लासपूर्ण समाप्ति हुयी, पूरे देश में बिहार की वाह वाही हुयी और मैं इसका पूरा श्रेय माननीय मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार को दिया, मैंने सिर्फ दिया ही नही , उन्होंने पोस्टर के माध्यम से ये जताने की कोशिश की थी की सारा आयोजन उनका ही करा धरा है. तो नितीश जी, जैसे आप वाह वाही के हक़दार हैं , वैसे ही आप मासूम 279 लोगों के हत्या के भी जिम्मेवार हैं , जिनकी जान नाव डूबने से नही, आपकी लापरवाही से हुयी.
गत १ जनवरी को मैं अपनी धर्मपत्नी के साथ उसी एन आई टी घाट पर गया था, सरकार द्वारा चालित स्टीमर न जाने किन कारणों से बंद परा था. शायद किसी राजनितिक दवाब के वजह से, उसके जगह पर ढेर सारे देशी नाव चल रहे थे. एक बार तो सोचा की जाना बेकार है मगर पत्नी के साथ आया था तो एक नाव वाले से बात की, २०० रुपये दिए और सिर्फ हम दो चले गए नदी के दियारा क्षेत्र में. मुझे यह नही पता की दियारा क्षेत्र में जाना गैर क़ानूनी है या नही. हमारे पहुँचने के १० मिनट बाद पुलिस गस्ती की एक टूकरी वहां पहुंची , धीमे लहजे में कुछ नाव वालों को धमकाया और बैठ गए दियारा में बने चाय , चोमिन , मोमो की दूकान पर. नाव चालकों को पता था की उन्हें रोकने तो आये नही हैं , उनके सामने सामने तकरीबन ३० लोगों को बैठा कर नाव इस पार से उस पार करता रहा . जहां तक मेरी यादाश्त है, २ सुब इंस्पेक्टर रैंक के ऑफिसर भी उसमे थे. खैर, उस दिन मुझे महसूस हुआ की मैंने जो २०० रुपये दिए हैं वो जाने अनजाने में मैंने कुछ घूस भी दे दिया है.
मैं नितीश कुमार को इस आरोप से बड़ी करूंगा की उन्होंने प्रशाशन को तैनात नही किआ था, मगर जिस जिन्दादिली से आपके पुलिस ने शराब बंदी करवाई तो यहाँ लापरवाही क्यूँ? इस बात में कितनी सच्चाई है की आप स्थानीय मछुवारों को राजनितिक दवाब में आकर छुट दे रखे थे? क्या लालू जी के लोग ही नाव चलवा रहे थे? सवाल हैं, आप जवाब दे तो बेहतर वरना इतिहास इसे सच्चाई मान कर चलेगी.
खैर आपका तो रेट तय है, मरने वालों को ४ लाख. नितीश जी ४ लाख में खुदा न खास्ते आपके बेटे को कुछ हो जाए तो ना वह वापस आ सकता है न सामान्य नागरिक का बेटा . मगर क्यूंकि आपने और मोदीजी ने मिल कर ६ लाख का रेट लगा दिया है तो इसके लिए आप दोनों मुबारक के पात्र हैं. अब एक सुझाव ले लीजिये, इससे कहीं कम रकम खर्चा करके आप सभी घाटों पर जीवन रक्षक जैकेट उपलब्ध करा सकते हैं, बिना जैकेट के अनुमति नही होगी नदी में जाने की. जो जाएगा उसके ऊपर सीधा “ आत्महत्या के प्रयास “ का मुकदमा चलाइएगा. लेकिन इसके लिए आपको थोडा सा डिक्टेटर बनना पड़ेगा, मोदी जी की तरह. लोगों को करवी गोली खिलानी पड़ेगी.
दूसरी बात, आपके रिपोर्ट में भले ही सवारियों का क्षमता से ज्यादा होना आएगा मगर असल बात ये है की गंगा घाट पर जो देसी नाविक हैं , वो शौखिया रूप से पानी में एक दुसरे के नाव को टक्कर मार के मज़े लेते हैं, ठीक वैसे ही जैसे कभी कभी बेली रोड पर विक्रम टेम्पो वाले करते हैं. दोनों जगहों पर एक समानता है, पुलिस उनका बाल भी बांका नही कर सकती. जी नितीश जी, आपकी पुलिस. यही इस दुर्घटना का असल कारण बना है, जो आपके समिति के जांच रिपोर्ट में कहीं नही आएगा.
शायद आपको पता न हो नितीश जी तो जानकारी दे दूं, जिस मुफ्त एम्बुलेंस सेवा की बातें हर जगह आप करते फिरते हैं वो भी २ घंटे में पहुंची, कुछ लोग को उधर से भी ससपेंड कीजिये, धंधा बना रखे हैं आपके स्वास्थ योजना को.
एक और सुझाव है, ये अच्छी बात है की स्थानीय नाविकों के रोजी रोटी चलती रहनी चाहिए, मगर ये भी सच है की जनता की जान बचाने के लिए सुरक्षा मानकों को भी ध्यान में रखना चाहिए. सभी नाव का रजिस्ट्रेशन अवश्यक है. जैसे ड्राइविंग लाइसेंस निर्गत किये जाते हैं , वैसे ही नाविकों के भी लाइसेंस हो. अगर आप ये काम करने में अक्षम हैं तो इंतज़ार कीजिये अगली दुर्घटना का, मरने दीजिये लोगों को.
एक दम सही बिचार दिए है अव देखते है प्रसासन क्या करते है