Thursday, March 23, 2023
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बिल्डर के दवाब में कर्नाटक ने रोका श्रमिकों को जाने से।

विश्व जहां एक ओर covid-19 से लड़ाई लड़ रहा है, वहीं हिन्दुस्तान कोविड के साथ साथ अर्थव्यवस्था, कुव्यवस्था, लोगों में जागरूकता की कमी, लॉक डाउन को जबरदस्ती पालन करवाने जैसे परेशानियों से भी लड़ रहा है। सबसे बड़ी परेशानी को सामने आया है, ये है अप्रवासी श्रमिकों को उनके राज्य और उनके घर वापस पहुंचाना। जनसंख्या की अपार शक्ति से परिपूर्ण हिन्दुस्तान की हालत श्रमिकों को वापस घर पहुंचाने में गंभीर हो गई है। धीरे धीरे लॉक डाउन खुलता जा रहा है, और श्रमिकों के रहने और वापस जाने की किंकर्तव्यविमूढ़ता से आने वाले दिनों में फैक्ट्री और कंस्ट्रक्शन गतिविधि का चालू होना संशय में है। मजदूर आंख बंद करके घर लौटना चाह रहे हैं। दूसरों के घर में कोरोना और भुखमरी से मरने से अच्छा अपने घर में कोरॉना से लडने की इच्छा है। इच्छा इतनी प्रबल की हज़ारों किलोमीटर पैदल चल पड़ते हैं।

कर्नाटक ने श्रमिकों को वापस उनके गृहस्थल भेजने की प्रयास की थी मगर बिल्डरों ने सरकार के ऊपर दवाब बनाकर आगे चलने वाले श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को रद्द कर दिया। मजबूर श्रमिक उचित मानदेय पाने का सपना भी नहीं देखेंगे और बंधुआ मजदूर की तरह उनसे काम कराया जाएगा। देहरी मना किए जाने पर भाग जाने की धमकी भी नहीं दे पाएंगे, तो मजबूरन पेट चलाने के लिए उसी कंपनी में गधा मजदूरी करेंगे ।

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