Sunday, March 19, 2023
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श्रमिक स्पेशल


हाँ हाँ बिटिया रानी हम एकदम ठीक हैं, बहुत अच्छा खाना मिलता है यहाँ। तुमलोग ठीक से हो न? घर से बाहर तो नही जाते हो? पैसा वैसा है न?
हाँ पापा इहाँ सब ठीक है, आप बस जल्दी से घर आ जाइये।
आ जायेंगे बिटिया, गाड़ी घोडा तो चलने दो पहिले, अब रखते हैं अम्मा का ध्यान रखना।
दो महिना हो गया पापा, अब तो आ जाइए हमको बहुत डर लगता है, अम्मा तो रात भर हनुमान जी का नाम जपती रहती है।
आयेंगे बिटिया, सरकार ई श्रमिक स्पेशल हमरे खातिर ही तो चला रही है, हम जल्दी आयेंगे।
हाँ बिटिया अम्मा से कह देना हम ट्रेन में बैठ गए हैं, दो तीन दिन में गाँव पहुच जायेंगे, १४ दिन उन्हा तुम्हारे स्कूल में रखेगा हमको, फिर घर आयेंगे हम।
ठीक है पापा, हम अभी जाके अम्मा को बताते हैं।
पापा पांच दिन हो गया है, आप गांव आ गए हैं का? हमलोग स्कूल आयें? आपको बस देख के लौट जायेंगे ।
नहीं बिटिया अभी दू चार दिन और लगेगा सायत। बिटिया बहुत भूख लगी है, आना तो ठेकुआ, चुरा आ सत्तू लेके आना हमारे खातिर।
ठीक है पापा।
हेलो पापा! अरे आप कौन हैं अंकल? हमारे पापा का फ़ोन आप काहे ले लिए हैंय़
बिटिया तुम्हारे पापा तो नहीं रहे, दो महिना से भूख सह रहे थे, दो दिन और सह लेते तो तुमलोग का मुंह देख लेते।

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1 COMMENT

  1. अतिसुंदर । आज जो परिस्थिति बनी हुई है उस पर सही चरित्र चित्रण प्रस्तुत किया गया है।

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