आजकल अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में चर्चा जोड़ों से चल रही है की “FATF” पाकिस्तान को कालीकृत (BLACKLIST) करेगी या 2018 के अपने निर्णय को बरकार रखेगी । 2018 के जून में पाकिस्तान को “ग्रे लिस्ट ” में रखा गया था। सूत्रों से मिली खबर के अनुसार पेरिस में आयोजित बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने के निर्णय को बरकार रखा गया है । पाकिस्तान को 2019 तक का समय सीमा दिया गया था, जिसमे पाकिस्तान को बताना था की उसके द्वारा “आतंकवाद” को सृजित करने के लिए पैसे देने का जो सिस्टम बना हुआ है , उसे कैसे खत्म किया जाएगा, कोरोना की वजह से बैठक टलता रहा और आज 23 अक्तूबर को आयोजीत बैठक में यह पाया गया की पाकिस्तान ने कोई क्रांतिकारी तरीका अभी तक नही निकाला जिससे आतंकवादियों तक पहुँचने वाले पैसे को रोका जा सके।
पाकिस्तान के इस ग्रे लिस्ट में बरकार रहने के निर्णय को भारत के जीत के रूप में देखा जा रहा है, पाकिस्तान के बार बार सबूत देने के बावजूद भारत की चौकन्ना टीम ने बार बार सभी सबूतों का काट प्रस्तुत किया। पाकिस्तान ने अंतिम दम तक खुद को “ग्रे लिस्ट ” से निकालने का प्रयास किया , इसमे पाकिस्तान के वर्तमान प्रधान मंत्री इमरान खान ने खाड़ी देशों से भी मदद मांगी, मगर प्रत्यक्ष रूप से FATF सदस्य न होने के वजह से खाड़ी देश कोई विशेष मदद नही कर पाये।
पाकिस्तान की मीडिया इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार नही है की पाकिस्तान की कमियों के वजह से वापस “ग्रे लिस्ट ” में रखा गया है। पाकिस्तान के मीडिया के साथ अपनी मजबूरी है, इस बेइज्जती को पाकिस्तान के कमियों के रूप में दिखाने के बजाए इसे हिंदुस्तान की साजिश शाबित करने का प्रयास किया जा रहा है। ठीक उसी तरह जैसे हिंदुस्तान के सभी गलतियों के लिए वर्तमान सरकार यहाँ के प्रथम प्रधानमंत्री को ही दोषी मानती है। इससे दोनों देश के राजनेताओं की रोज़ी रोटी चलती रहती है।
पाकिस्तान के लिए अलग अलग “आर्थिक संस्थानों ” से पैसा लेना अभी के समय में अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए मजबूरी हो गई है । ADB, IMF जैसे संस्थान “FATF” जैसे विभिन्न देशों के सरकार के संयुक्त उपक्रम के रेटिंग को बहुत गंभीर रूप से लेती है। इन संस्थानों का भी प्रयास रहता है की उनके द्वारा उपलब्ध कराये गए पैसे का ज्यादा से ज्यादा सदुपयोग हो। और गरीब देशों के साथ मजबूरी है की बिना अंतराष्ट्रीय ॠण के अर्थव्यवस्था चलायी नही जा सकती।
पाकिस्तान ने “FATF ” समिति से फरवरी 2021 तक का समय मांगा है “एक्शन प्लान” को लागू करने के लिए । उम्मीद है की आतंकवादियों को सह देने वाले इस देश के राजनेता को सुध आए और देश के प्रगति के तरफ ज्यादा ध्यान दें।