Thursday, March 23, 2023
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माँ दुर्गा पुजा में अष्टमी और नवमी का महत्व ।

What our girls can learn from Maa Durga - Times of India

नवरात्रि के नौ दिनो तक मां की चौकी लगाकर उनकी पूजा अर्चना की जाती है। इन नौ दिनों के दौरान भक्त मां को प्रसन्न करने और उनकी कृपा दृष्टि पाने के लिए व्रत करते हैं। नवरात्रि के नौ दिन तक व्रत किया जाता है। अष्टमी तिथि को हवन होता है और नवमी वाले दिन कंजक पूजन के साथ नवरात्रि का समापन हो जाता है। जिसके बाद नवरात्रि के व्रत का पारण किया जाता है। अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी कहा जाता है, इस तिथि का बहुत महत्व माना गया है।

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हर माह की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी के रुप में मनाया जाता है। लेकिन नवरात्रि के दिन विशेष रुप से मां दुर्गा को समर्पित होते हैं, इसलिए नवरात्रि में अष्टमी तिथि को महाष्टमी कहा जाता है और इसका अत्यधिक महत्व माना जाता है। इस बार 24 अक्तूबर 2020 को अष्टमी तिथि है। इस दिन मां महागौरी की पूजा कि जाती है।

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दुर्गाष्टमी और नवमी तिथि को विशेषतौर पर मां दुर्गा की पूजा की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है। इस दिन देवी के अस्त्रों की पूजा भी की जाती है। इसलिए इसे कुछ लोग वीर अष्टमी भी कहते हैं। कथाओं के अनुसार इसी तिथि को मां ने चंड-मुंड राक्षसों का संहार किया था। इसलिए इस तिथि का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो भक्त पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ माता की पूजा अर्चना करते हैं मां प्रसन्न होकर उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं.

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वैसे तो पूरे नवरात्रि पर्व को शक्ति की पूजा का पर्व माना गया है, लेकिन अष्टमी और नवमी तिथियों को विशेषतौर पर स्त्रीत्व को समर्पित किया जाता है। दुर्गाष्टमी को जगह-जगह मां दुर्गा की विशाल मूर्तियां और पंडाल सजाएं जाते हैं जिनमें मां दुर्गा की शक्ति रुप में आराधना की जाती है। बंगाल में अष्टमी तिथि को विशेषतौर पर दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। अष्टमी और नवमी पर धुनुची नृत्य किया जाता है।

 

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