Saturday, March 18, 2023
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HomeArticlesशुभ विजय दशमी। जानिए इसकी कहानी विस्तृत रूप में।

शुभ विजय दशमी। जानिए इसकी कहानी विस्तृत रूप में।

जैसे ही आश्विन महीने की नवरात्रि खत्म होती है उसके अगले ही दिन हमारे देश में धूम – धाम से दशहरा मनाया जाता है. यह हिन्दुओं का एक बहुत बड़ा फेस्टिवल हैं. इसको विजयदशमी के नाम से भी पुकारते हैं. इसका आयोजन अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता हैं. पुराने कथाओं की माने तो इस दिन भगवान श्री राम ने लंका के राजा रावण का वध किया था, इसलिये लोग इसे मनाते हैं .

कुछ लोगो का कहना हैं इस दिन माता दुर्गा ने 9 रात्रि और एक दिन मिला के 10 दिनों तक युद्ध किया था और फिर महिषासुर को मार कर उस पर विजय प्राप्त की थी. दशहरे को असत्य पर सत्य की जीत के रूप में हर साल बड़े धूम-धाम से मनाया जाता हैं. दशमी को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता हैं.

दशहरा का मतलब है = दश-होरा + दस दिन = दशवीं तिथि. दशहरा फेस्टिवल साल की 3 अत्यंत शुभ तिथियों में से एक हैं और 2 अन्य चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा इस दिन सम्पूर्ण लोग अस्त्र – शस्त्र की विशेष पूजा करते हैं और यही से एक नया कार्य शुरू करते हैं.

इस दिन कई लोग अक्षर लेखन का शुरुआत करते हैं. अपना नया व्यवसाय, उद्द्योग आदि शुरू करते हैं. ऐसा माना जाता हैं कि इस दिन आपने जो कार्य शुरू किया उसमे सफलता जरुर मिलती हैं. प्राचीन काल में राजा और महाराजा लोग अपने कार्य और रण युद्ध के कार्य दशहरे के दिन ही शुरू करते थे. इस दिन भारत में हर जगह-जगह पर मेले लगते हैं और कई – कई जगहों पर तो रामलीलाओं का मंचन भी किया जाता हैं.

रामलीला के 11वे दिन रावण के पुतले को एक विशेष ऊंचाई और खुले मैदान पर रखकर इस पुतले को जलाया जाता हैं और मान्यता है इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत होती है. विजय दशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाता हैं. इस दिन दुर्गा पूजा भी मनाई जाती हैं. दुर्गा और राम दोनों शक्ति पूजा का पर्व हैं और अस्त्र-शस्त्र पूजन की एक तिथि हैं.

यह पर्व खुशी, हर्ष और उल्लास का विशेष विजय पर्व हैं. व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो, इसलिये दशहरे का उत्सव रखा गया हैं. दशहरे का पर्व 10 पापों को दूर करता हैं जैसे – काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी.

दशहरे का महत्व :

दशहरे का दूसरा पहलु भी हैं भारत देश एक कृषि प्रधान देश हैं. किसान अपने खेत में सुनहरी फसल उगाकर अनाज रूपी संपति को घर लाता हैं तो उसके उल्लास और उमंग का कोई ठिकाना नहीं रहता हैं. इस खुशी को वह भगवान की कृपा मानता हैं और प्रकट करने के लिये वह उसका पूजन भी करता हैं. यह रीति भारत के कई राज्यों में मनाई जाती है.

भारत के महाराष्ट्र राज्य में सिलंगन पर्व के नाम से एक सामाजिक महोत्सव मनाया जाता हैं. शाम के समय में हर ग्रामीण लोग अच्छे-अच्छे कपड़े पहनकर गाँव के पास और गाँव से दूर जाकर शमी वृक्ष के पत्तों के रूप में स्वर्ण लूटकर अपने घर लाते हैं और उस स्वर्ण का आदान-प्रदान करते हैं.

भारत में दशहरा मनाने का अलग अंदाज :

दशहरा (विजयदशमी) राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में दोनों रूपों में यह शक्ति पूजा ही होती है. जितना यह भारत में प्रसिद्ध है उतने ही जोश और उल्लास से दुसरे देशों में भी इसे मनाया जाता हैं, जहाँ बहुत ज्यादा संख्या में प्रवासी भारतीय रहते हैं.

पंजाबी दशहरा 

पंजाब में दशहरा नवरात्रि 9 दिन तक उपवास रखकर मनाते हैं. इस दौरान यहाँ पारंपरिक मिठाई और उपहार दिया जाता हैं. यहाँ भी रावण – दहन के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और मैदानों में मेले भी लगते हैं.

बंगाल का दशहरा :

बंगाल, उड़ीसा और असम में इस दिन दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता हैं. दुर्गा पूजा बंगालियों का सबसे बड़ा फेस्टिवल हैं. इस दिन यह पर्व बंगाल में पुरे 5 दिनों तक चलता हैं और असम में 4 दिनों तक मनाया जाता हैं. यहाँ के लोग बड़े-बड़े पंडालो में देवी दुर्गा को भव्य और सम्मान के साथ विराजमान करते हैं. इस दिन देवी का बोधन, आमंत्रण एवं प्राण प्रतिष्ठा आदि करके आयोजन कराया जाता हैं. इस दिन महिलायें अपने माथे में सिंदूर भी लगाती हैं तथा आपस में भी सिंदूर लगाती हैं. इस दिन नीलकंठ पक्षी को देखना बहुत ही शुभ माना जाता हैं. आखिरी दिन इन प्रतिमाओं को विसर्जन किया जाता हैं.

तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक का दशहरा :

इन राज्यों में दशहरा 9 दिनों तक चलता हैं जिसमे 3 देवियाँ लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा की पूजा की जाती हैं. पहले दिन – लक्ष्मी देवी की पूजा की जाती हैं जिसमें धन और समृद्धि का पुजन होता हैं. दूसरा दिन सरस्वती – इस दिन कला और विद्या की देवी की पूजा अर्चना की जाती हैं. तीसरा दिन दुर्गा देवी – इस दिन दुर्गा देवी की शक्ति देवी के रूप में पूजा की जाती हैं. इस दिन पूजा स्थल रंग-बिरंगे रंगों और दीपकों से सजाया जाता है.

गुजराती दशहरा :

गुजरात में मिट्ठी सुशोभित रंगीन घड़ा देवी का प्रतीक माना जाता हैं. इस घड़े को कुवारी लड़कियां सर पर रखकर नाचती हैं जिसे गरबा कहते हैं. गरबा यहाँ का सबसे बड़ा उत्सव हैं. इस दिन पुरुष और महिलायें दो छोटे रंगीन डंडो को संगीत की लय पर आपस में बजाते है और घूम-घूम कर नाचते हैं. इस मौके पर भक्ति और फिल्मी गानों पर लोग नाचते हैं. पूजा और आरती के बाद डांडिया रास का आयोजन पूरी रात भर किया जाता हैं.

कश्मीरी दशहरा :

कश्मीर में अल्पसख्यंक हिन्दू लोग नवरात्रि के पर्व को बड़े धूम-धाम से मनाते है. परिवार के बाकि लोग 9 दिनों तक पानी पीकर उपवास करते हैं. यहाँ एक पुरानी परंपरा हैं जिसमे 9 दिनों तक लोग माता खीर भवानी के दर्शन करने के लिये जाते हैं. यह मंदिर झील के बीचो – बीच बना हुआ हैं. ऐसा माना जाता हैं कि देवी ने अपने भक्तों से कहा हुआ हैं कि यदि कोई अनहोनी होने वाली होगी तो झील का पानी काला हो जायेगा.

विजयदशमी या विजय पर्व :

दशहरे का उत्सव शक्ति का समन्वय बताने वाला उत्सव हैं. नवरात्रि के 9 दिन जगदम्बा की उपासना करके शक्तिशाली बना मनुष्य विजय प्राप्ति के लिये तत्पर रहता हैं. इस दृष्टी से दशहरे यानि कि विजयदशमी के लिये प्रस्थान का उत्सव अत्यंत जरुरी भी हैं. यदि कही युद्ध अत्यंत जरुरी हो तब शत्रु के आक्रमण की प्रतीक्षा ना कर उस पर हमला कर उसका पराभव करना ही कुशल राजनीति हैं.

महाराष्ट्र के वीर पुत्र शिवाजी महाराज ने भी औरंगजेब के खिलाफ इसी दिन अपने लड़ाई की शुरुआत करके हिन्दू धर्म का रक्षण किया था. ऐसे कई उदाहरण हैं कि इस दिन की कीमत कितनी अनमोल हैं. ऐसा भी माना गया हैं इस दिन शत्रु पर विजय के लिये इसी समय प्रस्थान करना चाहिए. युद्ध करने का प्रसंग न होने पर भी इस काल में राजाओं और महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान पदासीन लोग सीमा का पालन नहीं करते हैं.

दोस्तों ! दशहरा मनाये और दशहरे के साथ अपने बुरी आदतों को भी जला दें।

 

 

 

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