Friday, March 24, 2023
Google search engine
HomeArticlesशादी के पांच साल, खस्ताहाल.....बैचलरहुड ही ठीक था!

शादी के पांच साल, खस्ताहाल…..बैचलरहुड ही ठीक था!

जी हाँ! पांच साल हो गये शादी को। पांच साल में सरकार बदल जाती है, क्यूंकि एक सरकार झेली नही जाती इस से ज्यादा। अब पत्नी भी सरकार से कम थोड़े हैं। पांच साल से ज्यादा झेलना असंभव है। सुबह साथ चाय पीने के लिए जल्दी उठो, हर काम सलीके से करो। गीला तौलिया यहाँ वहां फेकने के लिए डांट सुनो। मैडम तो थी हीं हुक्म बजवाने के लिए, अब तो छोटे सरकार भी आ गए हैं पापा ये करो पापा वो करो कहने के लिए। माँ बेटे ने फौज बन रखी है, जब देखो हमला कर देती है।

बाहर घूमने जाओ तो बच्चे के डाइपर, सब्जियां और किराना खरीदने में जेबें हलकी हो जाती हैं। मैडम कमाती तो हैं पर खर्च करने के वक़्त गृहिणी बन जाती हैं। जाने पैसे जमा कर के ताज महल खरीदेंगी या कुछ और। दोस्तों के साथ नाईट आउट अब सपना है बस, मैडम तुरंत पलट कर कहती हैं, मैं जाती हु कभी नाईट आउट पे? बच्चे को संभालो तुम किसी रात, मुझे भेजो मेरी सहेली के घर, फिर जाने दूंगी तुम्हे नाईट आउट पे। याद है अस्पताल में भर्ती थी फिर भी बच्चे को मैंने ही सुलाया था और तुम मुँह फेर कर सोते रहे थे। और भी न जाने कितने हार्मलेस गुनाह गिना देती हैं मैडम।

मन चीत्कार उठता है, हे अर्धांगिनी पूरी नहीं पर आधी जिंदगी तो जी लेने दो। दिन तो तुम्हारे ही हैं रातें तो यारों को देने दो। घरेलु शौपिंग के अलावा अड्वेंचर ट्रिप पे जाने को भी मेरा मन कब से व्याकुल है। इतना साफ़ घर काटने को दौड़ता है देवी, कुछ गंद फैलाने दो ताकि अपनापन लगे इस घर से। हुक्म बजवाने की कसर ऑफिस में पूरा कर लेता हूँ पर कभी कभर खुद पर भी तो हुक्म चलाने दो प्राणप्रिये।

अब मैडम का हाल सुनिए। चाकलेटी हीरो से लगने वाले साहब अब शक्ति कपूर से लगने लगे हैं, वो भी तोंद वाले। बीवी बगल में बैठी हो फिर भी सडक पर लड़कियां ताड़ेंगे और आहें भरेंगे। घर को सजाने की सारी कवायदों को घर में पांव रखते ही फेल कर देंगे। घडी पर्स बेल्ट चाभी सब के सब शोपीस में डाल देंगे, अरे ये सब सजाने की चीजें हैं क्या? बिना अलमारी उधेड़े एक तौलिया भी निकल लें किसी दिन तो भोलेनाथ को केले चढ़ाऊँ मैं। दिन भर बच्चे के पीछे भागो, ये आयें तो इनके स्वागत में लगो। आराम तो मेरे नसीब में ही नही है। हे ईश्वर! दो दो बच्चें नहीं संभलते मुझसे, इस बड़े वाले को जल्दी बड़ा कर दो।

मार्किट जाओ तो साहब तो फोन पे लगे रहेंगे। अब हम बच्चे को गोदी में टाँगे टाँगे सब खरीदारी भी करें और अपने पैसे भी खर्चें? बताइए, अब मदद नहीं करेंगे तो अपना एटीएम ही दे दिया कीजिये। आपके पैसों से खरीददारी करने में गजब का साइकोलॉजिकल सटिसफैक्स्न है जनाब, आप नहीं समझेंगे। अपने पैसे हम किसी इमरजेंसी के लिए संभल के रख रहें हैं जो आपके जैसा पति होने पर कभी भी आ सकती है।

अब आप कहेंगे कि कहना की चाहती हैं आप, पांच साल होने पर सरकार बदल दी जाए? तो हम कहेंगे ना बाबा ना, इतना मेहनत से ट्रेन किए है पति को अब नया मुर्गा कौन संभाले? सरकारें आयेगीं जाएंगी पर शादी रहनी चाहिए। गृहस्थी की गाड़ी स्लो तो होगी ही पुरानी होने पर। टॉय ट्रेन पर घूमें हैं कभी? उसका भी अपना ही मजा है। नज़ारे देखते रहिए और चलते रहिए। पत्नी देवी की जय हो।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments

Anand Kumar Upadhyay on श्रमिक स्पेशल
ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव on जिला स्तरीय पोषण मेला कल से शुभारम्भ ।
Navnita Singh on School of my dreams.
Bibhuti Rajput on School of my dreams.
Ramjapu kumar on जिन्दगी
navnita on रिश्ते
Atish Ranjan on एक कप चाय
राम सिंघानियाँ on एक सीतामढ़ी और भी है!
Shrishyam Sharma on “कर्कशा”
रामजपु कुमार एडमिन anhari dham facebook on सीतामढ़ी का सबसे पुराना मंदिर.
रामजपु कुमार एडमिन anhari dham facebook on सीतामढ़ी का सबसे पुराना मंदिर.
Shrishyam Sharma on बाल मज़दूरी
हृषिकेश कुमार चौधरी on एक सीतामढ़ी और भी है!
Shrishyam Sharma on How was Sitamarhi.org Launched?