Monday, March 27, 2023
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सीतामढ़ी पेज के हैक होने की कहानी।

सीतामढ़ी का सबसे पुराना और सबसे बड़ा फेसबुक पेज पिछले दिनों पाकिस्तान के कुछ हैकर्स के द्वारा हैक कर लिया गया। हैकिंग तब तक संभव नहीं है जब तक आपकी अपनी ग़लती ना हो। आज हम लोगों से क्या गलती हुई इसकी आप बीती बताना जरूरी है। हमारे सभी भाइयों और बहनों का को सहयोग मिला वो अपेक्षाओं से भी बढ़कर था।

26 अगस्त 2010 को बना सीतामढ़ी का फेसबुक पेज आज तक विगत 10 वर्षों में किसी से पैसे नहीं लिए। जब कभी सहयोग लिया, वो किसी कार्यक्रम विशेष या कैलेंडर को छपाई के लिए सहयोग राशि प्राप्त की। पेज में पूर्ण रूपेण रंजीत पुरबे भाई के पूर्णकालिक स्वयंसेवा और कोर कमिटी के सभी मित्रों का समय समय पर सेवा देने के वजह से पेज शीर्ष पर रहते हुए सबसे पहले 100000 लोगों का समूह बना। कोर कमेटी में लगभग 25 सदस्य हैं, किसी ने ना तो आजतक किसी प्रकार के पैसे को मनसा रखी ने किसी से सीतामढ़ी पेज के नाम पर पैसा मांगा।

पेज के गतिविधियों को अग्रेषित करते हुए 2016 में sitamarhi.org की स्थापना कि गई, जो कि 2020 में राजाराम भाई के सहयोग से monetize हुआ और लगभग हर अच्छे लेख पर तकरीबन 1$ की आय वहां से होती है। वेबसाइट के रखरखाव में आने वाले वार्षिक खर्च से भी कम आय।

एक चेष्टा थी कि थोड़ी थोड़ी आय, जो कि अप्रत्यक्ष माध्यम से आती हो, जैसे कि गूगल एड से, ऐसे किसी आय से पेज का रख रखाव किया जा सकता है। इसी क्रम में 16 दिसंबर 2020 को हैकिंग की गाथा शुरू होती है।

अंग्रेज़ लड़की का प्रोफ़ाइल पिक और BuzzFeed जैसे वेबसाइट की चर्चा।

शुरुआत में मैं सतर्क था, मगर बिना किसी के सामने हाथ फैलाने और पैसे लेकर प्रचार करने की तुलना में ये तरीका मुझे सही लग रहा था। अंदर ही अंदर कुलबुलाहट भी थी कि आगे क्या होगा!

बहुत ही प्रोफेशनल तरीके से महोदया पेश आयी। जिससे मुझे उसपे भरोसा बढ़ता गया।
मैंने एग्रीमेंट की बात तो की, मगर शायद मैं यहीं से बेवकूफ़ बनना शुरू हो गया।
अब शब्द बा शब्द मैं उसकी बात मानने को तैयार हो चला था।
बिजनेस को unverified देख कर मुझे एक वक्त के लिए शक हुआ कि BuzzFeed जैसी बड़ी कंपनी का अकाउंट कैसे unverified हो सकता है। मगर…..
एक डर था इसलिए सीतामढ़ी पेज को जोड़ने से पहले मैंने सीतामढ़ी टाइम्स को जोड़ा। मगर अंग्रेज़ महिला का बार बार दवाब बड़े पेज को जोड़ने के लिए था।
मोहतरमा के फर्राटेदार अंग्रेजी के जाल में आखिरकार में फंस ही गया।

25 दिसंबर 2020 को पता चला कि उसने मुझे और रंजीत भाई को पेज के एडमिन से हटा दिया। जब मैंने सीतामढ़ी पेज खोला तो देखा कुछ बदले हुए अंदाज़ थे। आज मैं visitor के रूप में उसे देख पा रहा था। एडमिन रहा है नहीं। दिमाग ठनका तो हफ्ते भर पहले की गलती का एहसास हुआ।

जिस मोहतरमा ने मुझसे बात की, उसने ये पेज किसी पाकिस्तानी को महज 10000 रुपए में बेच दिए। खैर, कोर कमेटी के सभी लोग जी जान से पेज को वापस लाने में लग गए। अमेरिका से शिशिर भैया, मुंबई से रामजपु भाई, अरब से फेराज़ खान भाई, रुन्नी सैदपुर से राघव भाई और जो जिस जगह थे उस जगह से recovery के प्रयास में लग गए। आखिरकार सबका मेहनत रंग लाया। Facebook ने हजारों मिन्नतों के बाद पेज के साथ हुए धोखाधड़ी को समझा और पेज को पुराने अंदाज़ में पुराने एडमिन के हवाले कर दिया। मगर आज भी अब इसके ownership की लड़ाई जारी है। फर्जीवाड़ा करके 10000 पाकिस्तानी रुपए में खरीदने वाले शक्स का account फेसबुक ने बंद कर दिया है, मगर जिस मोहतरमा ने मुझे झांसे में लिया अभी तक उसपे कोई कार्य वाई नहीं हो पाई।

इस विपरीत समयकाल में समर्थन में सीतामढ़ी की आवाज़ पेज, रुन्नी सैदपुर पेज, पुपरी पेज और जो ढेर सारे पेज आए उनको धन्यवाद देना चाहता हूं। जालसाजों से बचने को सीख मुझे मिल गई, मगर जरूरी नहीं की आप भी गलती करके सीखें। सतर्कता ही इंटरनेट पर बचाओ है।

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4 COMMENTS

  1. जय माँ जानकी 🙏
    पेज आपसी पर सहयोग करने बाले सभी लोगों को दिल से धन्यबाद, एंव सभी पेज मेम्बर को बहुत बहुत बधाई💐

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