महामृत्युञ्जयमन्त्र
आज जिस मंत्र की चर्चा हम करने जा रहे हैं , इसे बहुत ही शक्तिशाली मंत्र माना गया है। कृपया पोस्ट आगे पढ़ने से पहले अपने मन को पूर्णतः साफ कर लें ।
ॐ त्र्य॑म्बकं यजामहे सु॒गन्धिं॑ पुष्टि॒वर्ध॑नम् ।
उ॒र्वा॒रु॒कमि॑व॒ बन्ध॑नान् मृ॒त्योर्मु॑क्षीय॒ माऽमृता॑॑त् ।।
आपने इस मंत्र को बार बार सुना होगा और जपा भी होगा। आज जब पूरा विश्व जब कोरोना के प्रकोप से ग्रशीत है , जो की एक मानव रचित आपदा प्रतीत होता है तो औषधि के द्वारा निवारण के अलावा दार्शनिक निवारण के ओर भी लोगों को ध्यान देना चाहिए।
इस मंत्र के शक्ति को लेकर मैं चर्चा नहीं करूंगा, इसे आपको खुद ही महसूस कर सकते हैं ।
ऋगवेद के सातवें अध्याय के 59 वें श्लोक में इस मंत्र को देखा जा सकता है । रुद्र को समर्पित ये मंत्र कुछ इस प्रकार है ।
Rig Veda Book 7 Hymn 59
यं तरायध्व इदम-इदं देवासो यं च नयथ |
तस्मा अग्ने वरुण मित्रार्यमन मरुतः शर्म यछत ||
युष्माकं देवा अवसाहनि परिय ईजानस्तरति दविषः |
पर स कषयं तिरते वि महीरिषो यो वो वराय दाशति ||
नहि वश्चरमं चन वसिष्ठः परिमंसते |
अस्माकमद्य मरुतः सुते सचा विश्वे पिबत कामिनः ||
नहि व ऊतिः पर्तनासु मर्धति यस्मा अराध्वं नरः |
अभि व आवर्त सुमतिर्नवीयसी तूयं यात पिपीषवः ||
ओ षु घर्ष्विराधसो यातनान्धांसि पीतये |
इमा वो हव्या मरुतो ररे हि कं मो षवन्यत्र गन्तन ||
आ च नो बर्हिः सदताविता च न सपार्हाणि दातवे वसु |
अस्रेधन्तो मरुतः सोम्ये मधौ सवाहेह मादयाध्वै ||
सस्वश्चिद धि तन्वः शुम्भमाना आ हंसासो नीलप्र्ष्ठा अपप्तन |
विश्वं शर्धो अभितो मा नि षेद नरो न रण्वाः सवने मदन्तः ||
यो नो मरुतो अभि दुर्ह्र्णायुस्तिरश्चित्तानि वसवो जिघांसति |
दरुहः पाशान परति स मुचीष्ट तपिष्ठेन हन्मनाहन्तना तम ||
सान्तपना इदं हविर्मरुतस्तज्जुजुष्टन |
युष्माकोतीरिशादसः ||
गर्हमेधास आ गत मरुतो माप भूतन |
युष्माकोती सुदानवः ||
इहेह वः सवतवसः कवयः सूर्यत्वचः |
यज्ञं मरुत आव्र्णे ||
तर्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम |
उर्वारुकमिवबन्धनान मर्त्योर्मुक्षीय माम्र्तात ||
yaṃ trāyadhva idam-idaṃ devāso yaṃ ca nayatha |
tasmā aghne varuṇa mitrāryaman marutaḥ śarma yachata ||
yuṣmākaṃ devā avasāhani priya ījānastarati dviṣaḥ |
pra sa kṣayaṃ tirate vi mahīriṣo yo vo varāya dāśati ||
nahi vaścaramaṃ cana vasiṣṭhaḥ parimaṃsate |
asmākamadya marutaḥ sute sacā viśve pibata kāminaḥ ||
nahi va ūtiḥ pṛtanāsu mardhati yasmā arādhvaṃ naraḥ |
abhi va āvart sumatirnavīyasī tūyaṃ yāta pipīṣavaḥ ||
o ṣu ghṛṣvirādhaso yātanāndhāṃsi pītaye |
imā vo havyā maruto rare hi kaṃ mo ṣvanyatra ghantana ||
ā ca no barhiḥ sadatāvitā ca na spārhāṇi dātave vasu |
asredhanto marutaḥ somye madhau svāheha mādayādhvai ||
sasvaścid dhi tanvaḥ śumbhamānā ā haṃsāso nīlapṛṣṭhā apaptan |
viśvaṃ śardho abhito mā ni ṣeda naro na raṇvāḥ savane madantaḥ ||
yo no maruto abhi durhṛṇāyustiraścittāni vasavo jighāṃsati |
druhaḥ pāśān prati sa mucīṣṭa tapiṣṭhena hanmanāhantanā tam ||
sāntapanā idaṃ havirmarutastajjujuṣṭana |
yuṣmākotīriśādasaḥ ||
ghṛhamedhāsa ā ghata maruto māpa bhūtana |
yuṣmākotī sudānavaḥ ||
iheha vaḥ svatavasaḥ kavayaḥ sūryatvacaḥ |
yajñaṃ maruta āvṛṇe ||
tryambakaṃ yajāmahe sughandhiṃ puṣṭivardhanam |
urvārukamivabandhanān mṛtyormukṣīya māmṛtāt ||
ऋग्वेद के इस मंत्र को आज के आपदा में निवारण के लिए हम जाप सकते हैं।
रुद्र को समर्पित ये मंत्र बहुत ही शक्तिशाली हैं। इस स्थिति में स्वामी दयानन्द सरस्वती के मतानुरूप –
स्वामी दयानंद सरस्वती का मत –
- (१) रुद्र दु:ख का निवारण करनेवाला;
- (२) दुष्टों को दंड देनेवाला;
- (३) रोगों का नाशकर्ता;
- (४) महावीर;
- (५) सभा का अध्यक्ष,
- (६) जीव,
- (७) परमेश्वर,
- (८) प्राण, तथा
- (९) राजवैद्य है।
तो आज दुःख का निवारण करनेवाले रुद्र से शक्ति लेने की बेला है ।
सद्गुरु के अनुसार :-
The Meaning of the Mantra
We worship the three-eyed One, who is fragrant and who nourishes all.
Like the fruit falls off from the bondage of the stem, may we be liberated from death, from mortality.
इस मंत्र को आप यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं।